TAX के ये बदलाव लागू, जानें खुद पर असर

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पर्सनल फाइनैंस के नियमों से जुड़े कई तरह के बदलाव आगामी एक अप्रैल से लागू हो रहे हैं, जो आपकी फाइनैंशल प्लानिंग पर असर डाल सकते हैं। टैक्स से जुड़े कुल नौ बदलावों पर आपको आने वाले वित्त वर्ष में ध्यान में रखने की जरूरत होगी। आइए जानते उन बदलावों के बारे में।

दूसरे मकान के नोशनल रेंट पर कोई टैक्स नहीं
अगर आपके पास दो घर हैं और दूसरा घर खाली है, तो उसे भी सेल्फ-ऑक्युपाइड (अपने ही अंदर) ही माना जाएगा और आपको नोशनल रेंट (काल्पनिक किराये) पर टैक्स नहीं देना होगा।

स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़कर 50,000 रुपये
नए वित्त वर्ष में आप ज्यादा टैक्स बचा पाएंगे, क्योंकि अंतरिम बजट 2019 में केंद्र सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया है।

इक्विटी एलटीसीजी टैक्सेशन बदला
अगर आपने उन इक्विटी शेयर्स और/या इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड्स को वित्त वर्ष 2018-19 में बेचा है और अगर उसे आपने एक साल से अधिक वक्त तक अपने पास रखा है तो उसपर आपको वित्त वर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त टैक्स का भुगतान करना होगा। अगर यह लाभ एक लाख रुपये से अधिक होगा, तो एलटीसीजी पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा और इसपर इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा।

टीडीएस की सीमा बढ़ी
टीडीएस की सीमा सालाना 10 हजार रुपये से बढ़कर 40 हजार रुपये हो गई है।

एक अप्रैल, 2019 से फिजिकल शेयरों का ट्रांसफर नहीं
जिन लोगों के पास लिस्टेड कंपनियों के शेयर फिजिकल फॉर्म में हैं, वे एक अप्रैल के बाद उन्हें न तो ट्रांसफर कर पाएंगे और न ही बेच पाएंगे। कई निवेशकों, खासतौर पर बुजुर्गों को अब फिजिकल शेयरों को डीमैट फॉर्म में बदलना पड़ेगा, तभी वे उन्हें ट्रांसफर कर पाएंगे या बेच पाएंगे।

एक्सटर्नल बेंचमार्क से तय होगा लोन पर इंट्रेस्ट रेट
आरबीआई ने पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन और एमएसएमई कर्ज पर ‘फ्लोटिंग’ (परिवर्तनीय) ब्याज दरें एक अप्रैल से रेपो रेट या सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश पर प्रतिफल जैसे बाहरी मानकों से संबद्ध कर दिया है।

कैपिटल गेन का दो रिहायशी मकानों में निवेश के लाभ
वैसे टैक्सपेयर्स जो अपना मकान बेच चुके हैं, उनके पास टैक्स से बचने के लिए अपनी एलटीसीजी को एक मकान के बदले दो मकानों में निवेश करने का विकल्प होगा।

हाउसिंग सेक्टर के लिए जीएसटी की नई दरें और नियम
निर्माणाधीन प्रॉजेक्ट्स पर डेवलपरों और बिल्डरों के पास जीएसटी के दो विकल्प होंगे। या तो वे इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा के साथ 12 फीसदी जीएसटी का विकल्प चुनेंगे या फिर इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना पांच फीसदी जीएसटी के विकल्प का चयन करेंगे। किफायती मकानों के संदर्भ में जीएसटी की दर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ आठ फीसदी और इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना एक फीसदी होगी।

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