सलूंबर को जिला बनाने की घोषणा के साथ 32 साल में तीसरी बार उदयपुर का नक्शा बदलने जा रहा है। इससे पहले उदयपुर से छिटक कर सन 1991 में राजसमंद और 2008 में प्रतापगढ़ जिला बना था। अब तक तहसील और पंचायत समिति मुख्यालय रहे सलूंबर के जिला और बांसवाड़ा के संभाग मुख्यालय बनने से उदयपुर संभाग मुख्यालय का राजनीतिक और प्रशासनिक दायरा सीमित हो जाएगा। उदयपुर से 21.68 लाख आबादी वाला बांसवाड़ा, 10.46 लाख का प्रतापगढ़ और 16.74 लाख जनसंख्या वाला डूंगरपुर जिला छिन जाएगा। इन तीनों जिलों की 48.88 लाख आबादी बांसवाड़ा संभाग का हिस्सा हो जाएगी। हालांकि उदयपुर संभाग की आबादी बांसवाड़ा के मुकाबले फिर भी 20.56 लाख ज्यादा ही होगी। क्योंकि उदयपुर, राजसमंद और चित्तौड़गढ़ जिले की कुल आबादी 69.44 लाख है। अगर सलूंबर जिले को बांसवाड़ा संभाग में शामिल किया गया तो उदयपुर जिले की 36 लाख में से 6 लाख आबादी और घट जाएगी। प्रस्ताव के अनुसार उदयपुर जिले की 1.75 लाख जनसंख्या वाली सलूंबर तहसील को उदयपुर की ही जयसमंद, सराड़ा, सेमारी, झल्लारा, बांसवाड़ा की गनोड़ा और डूंगरपुर की आसपुर तहसील को मिलाकर नया जिला बनाने की कार्य योजना है। सलूंबर में उदयपुर की जयसमंद, सराड़ा, सेमारी, झल्लारा तहसील शामिल की गईं तो उदयपुर की 6 लाख आबादी नए जिले सलूंबर में शामिल हो जाएगी। उदयपुर के 20 में से ये 5 ब्लॉक कट जाएंगे। बहरहाल सलूंबर के अलग से जिला बनने से जयसमंद, सराड़ा, सेमारी, झल्लारा, बांसवाड़ा की तहसील गनोड़ा और डूंगरपुर की तहसील आसपुर के निवासियों को सस्ता, सुलभ न्याय के साथ मजबूत पुलिसिंग और प्रशासन की अच्छी निगरानी के साथ-साथ विकास से संबंधित सौगातों का सीधा फायदा होगा। इसमें भी सर्वाधिक फायदा जिला मुख्यालय सलूंबर को होगा। रोजगार नए अवसर पैदा होंगे। सलूंबर में दूसरा भी विधानसभा क्षेत्र भी बनाया जा सकता है, जिसका निर्धारण नए परिसीमन में होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि सलूंबर के नया लोकसभा क्षेत्र बनने की राह कठिन है, क्योंकि बड़े राज्यों में अमूमन जगह 25 लाख की आबादी पर 1 लोकसभा है।
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