विश्व पुस्तक दिवस : किताबें हमारी पथ प्रदर्शक सच्ची दोस्त

विश्व पुस्तक दिवस : किताबें हमारी पथ प्रदर्शक सच्ची दोस्त

विश्व जब एक और गंभीर संकट से जूझ रहा है ऐसे में आशा की कोई किरण नहीं दिखती वहां अकेलापन हर इंसान को अपने घर में बैठकर भी साल रहा है ऐसे में किताबें केवल आज ही नहीं जब जब भी इंसान अकेला हो किताबे उसकी सबसे अच्छी दोस्त साबित हुई हैं किताबें मुंह बोलती हैं, किताबें सच बोलती है ,किताबे आपके जीवन में प्रेरणा भरने का काम करती हैं। किताबें उमंग हैं। किताबें उल्लास है। किताबे कविताएं हैं। कविताएं के साथ-साथ किताबे गद्य है किताबें समाचार हैं किताबें इतिहास है सब कुछ तो किताबें हैं फिर इन किताबों के प्रति हम इतने निर्मोही क्यों हो गए? मैं जब कभी किताबों को और विशेषकर अच्छी किताबों को किसी रद्दी वाले के यहां पर थैली में पड़ा देखता हूं तो मेरी आत्मा को कष्ट होता है कि इंसान ज्ञान जानते हुए भी इस खजाने को इस तरह रद्दी में फेंक रहा है तो बड़ा कष्ट होता है किताबें आपकी अकेलेपन में ऐसी दोस्त हैं जो आपको दिशा दे देती हैं वह बोलती कुछ नहीं लेकिन उनके अंदर से अंतर प्रेरणा भरने का काम और वह मन के भाव जो आप पढ़ते वक्त अपने अंदर से उन किताबों के माध्यम से जोड़ने का प्रयास करते हैं वह किताबें आपके जीवन का अहम हिस्सा हो जाती हैं। किताबें पढ़ने मात्र से कुछ नहीं होता किताबों को आत्मसात करना होता है, उनको जीना पड़ता है ,उन्हें समझना पड़ता है, किताबों का इतिहास आधुनिक काल में वह चाहे बीसवीं शताब्दी से माने या कुछ लोग पहली शताब्दी से भी किताबों का उद्भव मानते हैं कुछ कहते हैं कि मिट्टी के टेबलेट पर कुछ लिखा जाता था संकेत चिन्ह हुआ करते थे उसके बाद कहीं कुछ और लिखने की परंपरा हुई लेकिन जिनको भारतीय परंपरा का ज्ञान नहीं है वह ऐसे ही किताबों के इतिहास के बारे में बोल सकते हैं लेकिन असल में किताबों का उद्गम स्थल भारतवर्ष है यदि आप ब्रह्मा जी का चित्र देखें या मां सरस्वती को देखें तो उनके हाथ में वेद की पुस्तक है यानी कि जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तभी से वे थे और वह वेद लिखे भी गए वह भोजपत्र पर लिखे गए या किसी और चीज पर लिखे गए वह बहस का विषय हो सकता है लेकिन यह तो तय है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति के साथ जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तभी से हाथ में पुस्तक भी थी यानी विश्व को पुस्तकों के दिन का कोई गुरु है तो फिर से कहा जा सकता है कि वह भारत है इसीलिए भारत विश्व गुरु ही था और फिर विश्व गुरु बनने की दिशा में चल पड़ा है किताबें कितनी अहमियत रखती हैं पश्चिम के केवल दो विश्वविद्यालय हावर्ड और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को यदि उनकी किताबें वहां से हटा दी जाए तो उनके पास ज्ञान बचेगा ही नहीं लेकिन भारतवर्ष में ऐसा नहीं है भारत में यहां कंकर कंकर शंकर है तो हर यहां सुनने की परंपरा रही है श्रुति परंपरा इसलिए यहां उपनिषद का मतलब साथ बैठकर जो कुछ सुना जाए सीखा जाए वही सच्चा ज्ञान है इसलिए हमारे यहां पर कभी भी बहुत अधिक गद्य की रचना कहीं नहीं हुई है सारे सारे श्लोक पद्य में लिखे गए हैं यानी उन्हें गाया जाता था और गाए जाने वाली कोई भी चीज हो तो जल्दी समझ में आती उस में अक्षरों का भेद भी नहीं होता आप हिंदी फिल्मों के डायलॉग बदल बदल कर बोल सकते हैं लेकिन हिंदी फिल्मों के गाने आप एक शब्द भी इधर से उधर नहीं कर सकते यानी गाए जाने वाली परंपरा की वजह से हमारे सभी ग्रंथो का निर्माण लेखन पद्य में ही हुआ विराट संस्कृति की अकूत थाती का निर्माण ज्यादा हुआ संस्कृत में वही संस्कृति बानी भारत की संस्कृति के परिचायक में परंपराएं हैं तो हमारे वैदिक साहित्य हमारी संस्कृति के महान प्रतीक ग्रंथ के रूप में विश्व में स्थापित है किताबें पद्य में ही लिखी गई गद्य में तो बहुत कम पुस्तकें हैं बल्कि संस्कृत साहित्य में प्राचीन कोई भी ग्रंथ गद्य में नहीं लिखा गया यदि हम देखें चाणक्य नीति हो रामायण हो महाभारत हो भगवत गीता हो या कालिदास के ग्रंथ हो या कोई भी ऐसे पौराणिक ग्रंथ हैं वे सभी श्लोक एक न एक जैसे अनुष्टुप छंद पर आधारित श्लोक ही लिखे गए गद्य में ना के बराबर कोई किताब संस्कृत में उपलब्ध होगी क्योंकि हमारी परंपरा गाकर सुनाने की रही है रामायण भी गाए जाने वाला ग्रंथ है पर पड़ने वाला ग्रंथ नहीं है विश्व पुस्तक दिवस पर मैं आप सब से यही निवेदन करूंगा किताबें खरीदिए किताबे उपहार में दीजिए किताबें पढ़िए किताबों को दोस्त बनाओ ये किताबें आपके सच्चा साथी हैं जो आपसे कभी धोखा नहीं करती कभी आपसे जुदा नहीं होती विश्व पुस्तक दिवस पर मेरी सच्ची दोस्त पुस्तकों को नमन नमन नमन

आलेख
डॉ प्रदीप कुमावत
संपत्ति निदेशक आलोक संस्थान
स्वतंत्र निदेशक रेलवे एनर्जी मैनेजमेंट कंपनी
संप्रति पुस्तक प्रेमी
https://www.facebook.com/DrPradeepKumawat.Alok/videos/1034904583570430/

Total
0
Shares
Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Previous Post

मेवाड़ राजघराने ने दोहराया इतिहास, अरविन्द सिंह मेवाड़ ने उदयपुर प्रशासन को 20 लाख रूपये  की सहयोग राशि प्रदान की

Next Post

एकजुटता से हराना होगा कोरोना को: महाराणा उदयसिंह के वंशज अरविन्द सिंह मेवाड़ का सन्देश 

Related Posts
Night Curfew in Rajasthan

कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित आठ शहरों में रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक रहेगा नाइट कफ्र्यू, विवाह में अधिकतम 100 लोग शामिल हो सकेंगे

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में शनिवार को आयोजित राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में बढ़ती सर्दी के मौसम एवं त्यौहारी सीजन के कारण बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर नियंत्रित करने के उपायों पर मंथन हुआ एवं इस दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
Read More
Asymptomatic corona patients can take treatment on prescribed rates by staying in hotels – Health Minister

बिना लक्षणों के कोरोना संक्रमित अब होटलों में रहकर निर्धारित दरों पर करवा सकते हैं उपचार -चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि ने प्रदेश के उन एसिंप्टोमेटिक (बिना लक्षणों के) कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए होटलों की दरें निर्धारित की हैं, जो निजी कमरों में रहना चाहते हैं। राज्य सरकार ने चयनित अस्पतालों को जरूरी जांच के बाद ऎसे मरीजों को होटल भेजने के लिए अधिकृत किया है।
Read More
Total
0
Share