12 नवम्बर गुरूवार को त्रयोदशी तिथि 21/31 अर्थात् रात्रि 09/31 से प्रारम्भ होगी, जो कि 13 नवम्बर शुक्रवार को शाम 06/00 बजे तक रहेगी।
उल्लेखनीय है कि धनत्रयोदशी के पूजनादि का मुख्यकाल प्रदोष काल है। प्रदोष काल प्रतिदिन बदलता रहता है। रात्रिमान के पाँच भाग करने से पहला भाग प्रदोष के नाम से जाना जाता है।
गुरूवार को चूँकि प्रदोषकाल 19/48 अर्थात् 07/48 शाम तक रहेगा, और त्रयोदशी तिथि रात्रि 09/31 से लगेगी अतः प्रदोषकाल इस दिन त्रयोदशी को स्पर्श नहीं करता, वहीं दूसरी ओर शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि सूर्योदयकाल से प्रारम्भ होकर 18/00 अर्थात् शाम 06/00 तक रहेगी और सूर्यास्त 17/11 अर्थात् शाम 05/11 पर हो जाएगा, इसमें 49 मिनट का प्रदोष काल त्रयोदशी युक्त है।
उल्लेखनीय है कि एक मुहूर्त 2 घटी या 48 मिनट का होता है, इस गणनानुसार शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल में शुद्ध रूप से व्याप्त है। अतः धनतेरस का पर्व शुक्रवार को मनाना ही धर्मशास्त्रीय मान्यता प्राप्त है। धनतेरस के सभी पूजनादि कृत्य सूर्यास्त से शाम 06/00 के बीच मनाना उपयुक्त होगा।
नरक चतुर्दशी भी शुक्रवार को ही शाम 06/00 के बाद मनाई जाएगी।