आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत

आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा “आत्मनिर्भर भारत पैकेज” (एएनबीपी) के अंतर्गत घोषित किए गए आर्थिक उपायों के आधार पर, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने कुल 8 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्नों (7 एलएमटी चावल और 1 एलएमटी गेहूं) को सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में “आत्मनिर्भर भारत योजना” (एएनबीएस) पत्र दिनांक 16.05.2020 के अंतर्गत जारी किया था, जिससे कि विस्थापित प्रवासी/ फंसे हुए प्रवासी कामगारों/ मजदूरों को खाद्य-सुरक्षा की गंभीरता में कमी लाने में सहायता मिल सके, जो लोग एनएफएसए या किसी अन्य राज्य पीडीएस योजना के अंतर्गत शामिल नहीं थे, या कोविड-19 की अभूतपूर्व स्थिति के कारण अपने एनएफएसए खाद्यान्न तक पहुंचने में सक्षम नहीं थे।

चूंकि, देश भर में प्रवासियों/ फंसे हुए प्रवासियों की वास्तविक/ अनुमानित संख्या के संदर्भ में कोई भी आंकड़ा डीओएफपीडी के पास उपलब्ध नहीं था, इसलिए 8 करोड़ प्रवासी लोगों (कुल 80 करोड़ एनएफएसए की आबादी का 10 प्रतिशत) का सहानुभूतिपूर्ण आंकड़ा अनुमानित किया गया था और इसके अनुसार, सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों (एनएफएसए के अंतर्गत मासिक आवंटन का @10%) को दो महीने की अवधि यानि मई और जून, 2020 के लिए 4 एलएमटी खाद्यान्न प्रति माह का एक समान आवंटन, आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत प्रति माह 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति के हिसाब से प्रवासियों/ फंसे हुए प्रवासियों तक निःशुल्क वितरण करने के लिए किया गया था।

8 करोड़ व्यक्तियों का प्रारंभिक अनुमान बहुत लचीला था और मीडिया द्वारा लगाए गए अनुमानित स्थिति के अनुसार था। वास्तव में, समस्या का पैमाना इस प्रकार से उजागर किया गया था कि इसके लिए सरकार से दयालु और सहानुभूतिपूर्ण प्रतिक्रिया की आवश्यकता थी जिससे कोई भी व्यक्ति छूट न जाए। तदनुसार, राज्य सरकारों को वितरण करने में पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की गई थी और वे इस अतिरिक्त खाद्यान को उन सभी लोगों को वितरित करने के लिए स्वतंत्र थे जिनके पास कोई राशन कार्ड उपलब्ध नहीं था। इस प्रकार, अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटित करने में तत्परता दिखाते हुए, डीओएफपीडी ने राज्यों को स्थिति से उत्पन्न हुई चुनौतियों का सामना करने के लिए परिचालन में पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की थी।

यह संतोषप्रद है कि जिन लोगों को भोजन की आवश्यकता थी, उन्हें भोजन प्रदान किया गया और यह राहत की बात है कि यह संख्या 8 करोड़ की शुरूआती अनुमान की तुलना में काफी कम होकर 2.13 करोड़ रह गई। जिन लोगों ने एबीएस के अंतर्गत मुफ्त खाद्यान्न का लाभ प्राप्त किया है, वे ऐसे लोग हैं जिन्हें उस समय सहायता की बहुत ज्यादा आवश्यकता थी। यहां पर यह समझने की जरूरत है कि 8 करोड़ प्रवासियों को वास्तविक लक्ष्य नहीं माना जाना चाहिए लेकिन अगर ये अस्तित्व में थे तो वे सेवा करने के लिए एक लक्षित लक्ष्य थे। इसके अलावा, यह हमेशा दोनों ओर आवागमन के साथ एक डायनामिक नंबर होता है, जो गृह राज्य/ केन्द्रशासित प्रदेश के लिए रिवर्स माइग्रेशन और ट्रांजिट माइग्रेशन होता है। वास्तव में एक अन्य परिप्रेक्ष्य यह भी हो सकता है कि एनएफएसए/ राज्य राशन कार्ड के अंतर्गत बड़ी संख्या में लोगों को कवर किए जाने के कारण प्रवासी आबादी की गतिशीलता में काफी हद तक बदलाव आ गया है और इसलिए एएनबीएस अनुमान के हिसाब से कवरेज से बहुत ही कम दिख रहा है।

एक अन्य तथ्य जिसे ध्यान में रखने की आवश्यकता है वह यह है कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान नियमित 127.64 एलएमटी एनएफएसए खाद्यान्नों के अलावा, ओएमएसएस, ओडब्ल्यूएस, पीएमजीकेएवाई आदि के अंतर्गत राज्यों, गैर-सरकारी संगठनों आदि के द्वारा अतिरिक्त 157.33 एलएमटी खाद्यान्न का उठाव किया गया था। लॉकडाउन के दौरान खाद्यान्नों की यह अतिरिक्त आपूर्ति पूरी आबादी के लिए एक बड़ा समर्थन था और यह टीपीडीएस द्वारा नियमित रूप से वितरित किए जाने वाले खाद्यान के दोगुने से भी ज्यादा है (24 मार्च से 30 जून 2020 तक)।

हालांकि, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने राज्य के अन्य विभागों जैसे श्रम विभाग और संबंधित एजेंसियों/ गैर सरकारी संगठनों आदि के सहयोग से लक्षित लोगों (यानी प्रवासियों, फंसे हुए प्रवासियों, पारगमन कर रहे प्रवासियों और संगरोध केन्द्रों में रहने वाले प्रवासियों आदि) की पहचान करने के लिए युद्ध स्तर पर मजबूत प्रयास किए और उन्हें एएनबीएस के अंतर्गत मुफ्त खाद्यान्नों का वितरित किया; कई राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने सूचित किया कि अधिकांश लक्षित प्रवासी पहले ही अपने गृह राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में वापस जा चुके हैं जहां पर उनके पास एनएफएसए/ राज्य योजना खाद्यान्न की पहुंच प्राप्त हो सकती है। इसलिए, एएनबीएस के अंतर्गत 8 एलएमटी खाद्यान्नों की आवंटित मात्रा का पूर्ण रूप से उपयोग/ वितरण नहीं किया जा सकता है।

इसके अलावा, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पहचान के क्रम में दर्शाए गए शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, अनुमानित रूप से 2.8 करोड़ लोगों को कवर किया जाना है जिसके बरक्स 30 जून 2020 तक प्राप्त अस्थायी आंकड़ों के अनुसार 2.13 करोड़ लोगों को कवर कर किया गया है। यह आंकड़ा वास्तविक अनुमानित संख्या 2.8 करोड़ लोगों का 76 प्रतिशत है। वास्तव में, राज्यों द्वारा लगभग 6.4 एलएमटी खाद्यान्न का उठाव कर लिया गया है जो 8 एलएमटी के आरंभिक आवंटन का 80 प्रतिशत है। राज्यों को 15 जुलाई, 2020 तक अपने वितरण का अंतिम आंकड़ा प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है और वे अभी भी अपने वितरण की रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं, उदाहरण के लिए, बिहार ने आज (2 जुलाई, 2020) तक कुल 1.73 करोड़ व्यक्तियों को कवर किया है। यह दर्शाता है कि जब नियत समय में ज्यादा राज्यों द्वारा वितरण रिपोर्ट दाखिल की जाएगी, तब दिनांक एएनबीए के अंतर्गत 30.6.2020 तक कवर किए गए 2.13 करोड़ के अनंतिम आंकड़ों की तुलना में अंतिम आंकड़े बहुत ज्यादा हो सकते हैं।

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