केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्कुलर के मुताबिक़ लोन देने में छूट की अवधि दो साल तक के लिए बढ़ाई जा सकती है.
इस दौरान ब्याज पर ब्याज न लगाने का सवाल पर केंद्र सरकार का कहना था कि केंद्र, आरबीआई और बैंकर एसोसिएशन को मिलकर बैठक करके इसका समाधान निकालेंगे.
कोरोना के कारण लॉकडाउन शुरू करने के बाद आरबीआई ने पहले तीन महीने और फिर छह महीने तक लोन न देने की छूट दी थी. लेकिन याचिकाकर्ता गजेंद्र शर्मा ने इस दौरान ब्याज पर ब्याज न लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोन देने में छूट की सीमा दो साल तक बढ़ाई जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर बुधवार को सुनवाई करेगा. अदालत ने कहा है कि वो इस मामले पर सभी पक्षों को सुनेगा.
इस मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण की अगुआई वाली तीन सदस्यीय बेंच कर रही है. याचिकाकर्ता गजेंद्र सिंह के वकील विशाल तिवारी ने कहा कि ये जनहित से जुड़ा हुआ मामला है.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह इस मामले में केंद्र सरकार की राय मांगी थी और कहा था कि केंद्र सरकार इस मामले में आरबीआई के पीछे नहीं छिप सकती, उसे अपना रुख़ भी स्पष्ट करना चाहिए.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि इस मामले में अन्य मुद्दे भी शामिल हैं, जीडीपी -23 प्रतिशत हो गई है और अर्थव्यवस्था पर भी दबाव है.
मार्च 𝟚𝟘𝟚𝟘 के बाद
कोरोना काल मे ब्याज को माफ़ किया जावे
जब तक स्थति कन्ट्रोल होवे तब तक. धन्यवाद
Ye sahi hai, nahi to kai log suicide kar lenge
Aam janta pareshan he to sarkar ko bhi janta ka dhyan rakhna hi padega