परमेश्वरांजी महाराज श्री एकलिंगनाथ जी के हरियाली अमावस्या पर अभिलेखीय चित्र के दर्शन
सावन मास में प्रत्येक सोमवार को मेवाड़ अधिपति परमेश्वरांजी महाराज श्री एकलिंगनाथ जी के प्राचीन चित्रों के दर्शन नित्य प्रणालिका के अनुसार इटर्नल मेवाड़ के पेज़ पर किये जा रहे है।
सावन मास के कृष्ण पक्ष के 15वें दिन हरियाली अमावस्या मनाई जाती है।
मेवाड़ में सावन मास के प्रत्येक सोमवार को सुखिया सोमवार के रूप में मनाने की परम्परा रही है। सावन में इस दिन सोमवार होने से हरियाली अमावस्या पूजन का विशेष महत्व बन गया है। हरियाली अमावस्या पर मेवाड़ अधिपति परमेश्वरांजी महाराज श्री एकलिंगनाथ जी को चांदनिया प्रिंट का हरा लेहरिया धराया जाता है। एकलिंगजी के इन्द्र सागर के उत्तर-पूर्व की और पहाड़ी पर स्थित अर्बुदा माताजी के मन्दिर पर श्रावणी अमावस्या का मेला लगता है।
सम्पूर्ण भारत के शिव मंदिरों में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना का महत्व है। हरियाली अमावस्या पर मेवाड़ के शिव मंदिरों के साथ-साथ घरों में भी हरियाली पूजन का महत्व रहा है। यह त्योहार प्रकृति के सम्मान और मानसून के आरम्भ के लिए मनाया जाता है। हरियाली अमावस्या पर लोग हरे रंग का लेहरिया पहनते है, इस दिन विशेषकर महिलाएं हरे रंग का लेहरिया परिधान पहनती है। महलों से महिलाएं बैंड बाजों व ढ़ोल के साथ पीपली घाट पर जाकर पीपल और जल की पूजा करती थी। हरियाली अमावस्या पर महाराणा भी उपवास रखते थे।
पीपल पूजन के बाद राजपुरोहित जी महाराणा के सम्मान में भोज का आयोजन करतेे थे। कई बार महाराणा के लिए हरियाली अमावस्या पर भोज आयोजन सहेलियों की बाड़ी में भी रखा जाता था।
उदयपुर वासी हरियाली पूजन के बाद फतहसागर और देवाली पहाड़ी पर नीमज माता मंदिर पर दर्शनार्थ एवं प्रकृति की ओर पहाड़ी पर मनमोहक नजारों का आनंद लेने जाते हैं। शिवशक्ति पीठ की ओर से हरियाली अमावस्या पर पीपल और जल पूजन रामेश्वर घाट पर किया जाता है। पूजन हेतु घाट तक महिलाएं गीत गाती हुई पहुँचती है।