आगामी मेलों में श्रृद्वालुओं की सुरक्षा के लिए तमाम इंतजामात किएं – मुख्य सचिव

जयपुर, 16 अगस्त। मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा ने कहा कि प्रदेश में आयोजित होने वाले आगामी मेलों में श्रृद्वालुओं की सुरक्षा के लिए तमाम इंतजामात किए जाएं तथा सक्रिय तरीके से मॉनीटरिंग सुनिश्चित की जाये जिससे किसी भी तरह की संभावित दुर्घटना को रोका जा सकें।

श्रीमती शर्मा मंगलवार को यहाँ शासन सचिवालय में श्रृद्वालुओं की सुरक्षा हेतु योजना की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि मेलों के दौरान महत्पपूर्ण मार्गों की सघन चैंकिग की जाए तथा शराब पीकर वाहन चलाने वाले चालकों के विरूद्व पुलिस द्वारा कार्यवाही कर कम से कम तीन माह के लिए ऐसे लोगों का अनिवार्य रूप से लाइसेंस निलम्बित किया जाए। श्रीमती शर्मा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मेलों के महत्वपूर्ण मार्गां पर प्रति 25 किलोमीटर पर पुलिस मोबाइल की व्यवस्था की जाए साथ ही मार्गों में आने वाले समस्त पुलिस थानों द्वारा भी नियमित पेट्रोलिंग की जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि मेलों के दौरान पुलिस, परिवहन तथा स्वंय सेवी संस्थाओं के माध्यम से समस्त श्रृद्वालुओं को रिफ्लेक्टिव टेप लगाया जाना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि  महत्वपूर्ण मार्गों के निकट पड़ने वाले निजी, राजकीय अस्पताल एवं ट्रोमा सेन्टर को चिन्हित कर 24×7 संचालित किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को वाहनों की गति नियन्त्रित रखने के लिए विशेष प्रर्वतन व्यवस्था, महत्वपूर्ण सड़कों का रख- रखाव, पैदल यात्रियों के लिए सुगम मार्ग की सुनिश्चितता, अस्थाई ट्रैफिक पोस्ट स्थापित करने संबंधी निर्देश भी प्रदान किए।

बैठक में पुलिस महानिदेशक श्री मोहन लाल लाठर ने कहा कि मेलों के स्थलों तथा रूट पर यात्रियों को लगातार चेतावनी तथा समझाइश की जाए जिससे किसी भी तरह की दुर्घटना ना हो। उन्होंने कहा कि इस दौरान किसी भी तरह के आपराधिक गतिविधि को रोकने के लिए पुलिस द्वारा रात्रि गस्त भी की जाए। बैठक में परिवहन आयुक्त श्री कन्हैयालाल स्वामी ने श्रद्वालुओं की सुरक्षा हेतु योजना के संबंध प्रस्तुतिकरण भी दिया। इस अवसर पर पुलिस, परिवहन तथा वीडियो कॉफ्रेसिंग के माध्यम से जैसलमेर, जोधपुर, पाली, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़ तथा अन्य जिलों के कलक्टर्स तथा पुलिस अधीक्षक मौजूद थे।

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प्रधानमंत्री ने देश में परिवहन के इस मोड में समृद्ध इतिहास के बावजूद 2014 से पहले भारत में नदी जलमार्गों का कम इस्तेमाल होने के बारे में चर्चा की। 2014 के बाद, भारत इस प्राचीन शक्ति का उपयोग आधुनिक भारत के निर्माण के लिए कर रहा है। देश की बड़ी नदियों में जलमार्ग विकसित करने के लिए नया कानून और विस्तृत कार्ययोजना है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 में देश में केवल 5 राष्ट्रीय जलमार्ग थे, अब देश में 111 राष्ट्रीय जलमार्ग हैं और लगभग दो दर्जन पहले से ही चालू हैं। इसी तरह, नदी जलमार्ग के माध्यम से कार्गो परिवहन में 8 साल पहले 30 लाख मीट्रिक टन से 3 गुना वृद्धि हुई है। पूर्वी भारत के विकास के विषय पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के कार्यक्रम पूर्वी भारत को विकसित भारत के लिए एक विकास इंजन बनाने में मदद करेंगे। यह हल्दिया मल्टीमॉडल टर्मिनल को वाराणसी से जोड़ता है और भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग और पूर्वोत्तर से भी जुड़ा हुआ है। यह कोलकाता बंदरगाह और बांग्लादेश को भी जोड़ता है। इससे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश तक व्यापार करने में आसानी होगी। कर्मचारियों और कुशल कार्यबल के प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि गुवाहाटी में एक कौशल विकास केंद्र स्थापित किया गया है और जहाजों की मरम्मत के लिए गुवाहाटी में एक नई सुविधा का निर्माण भी किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “क्रूज शिप हो या कार्गो शिप, ये न सिर्फ ट्रांसपोर्ट और टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं, बल्कि इनकी सर्विस से जुड़ा पूरा उद्योग भी नए अवसर पैदा करता है।” एक अध्ययन का हवाला देते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि जलमार्ग पर्यावरण की रक्षा के लिए भी अच्छे हैं और पैसे की भी बचत करते हैं। उन्होंने कहा कि जलमार्गों के संचालन की लागत सड़क मार्गों की तुलना में ढाई गुना कम है और रेलवे की तुलना में एक तिहाई कम है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि भारत में हजारों किलोमीटर के जलमार्ग नेटवर्क को विकसित करने की क्षमता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि भारत में जो 125 से ज्यादा नदियां और नदी धाराएं हैं, वे लोगों और सामान के ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल की जा सकती हैं और ये वाटर-वे, भारत में पोर्ट लेड डेवलपमेंट को भी बढ़ाने में मदद करेंगे। उन्होंने जलमार्गों के एक आधुनिक बहु-मॉडल नेटवर्क के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया और बांग्लादेश और अन्य देशों के साथ साझेदारी के बारे में जानकारी दी, जिसने पूर्वोत्तर में जल संपर्क को मजबूत किया है। संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत में विकासशील जलमार्गों की निरंतर विकास प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहा, 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