बेहतर जीवन और सर्वोत्तम हित परिवार में ही संभव
राजस्थान किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के 12 वे सिद्धांत में यह लिखा गया है कि बाल गृह को अंतिम विकल्प के रूप में माना जाए। बच्चों का सर्वोत्तम हित परिवार में ही संभव है। परिवार में वो सारी बाते सीखने को मिलती हैं जो बाल गृह में संभव नहीं है। बच्चों के हित को देखते हुए सरकार ने कई नियम बनाए हैं उनमें से एक नियम हैं फोस्टर केयर यानी पालन पोषण देखभाल, फोस्टर केयर कार्यक्रम उन सभी जरूरतमंद बच्चों को नया ओर सक्षम परिवार दिलाने में मदद करेगा जिनके माता पिता तो जीवित हैं लेकिन उनकी परवरिश करने में सक्षम नहीं हैं।
इसी कार्यक्रम के अन्तर्गत उदयपुर जिले के हिरण मगरी थानाधिकारी हनवंत सिंह और उनके परिवार ने जसवंतगढ़ में झाड़ाेली निवासी 6 साल और 4 साल के दाे भाइयाें की परवरिश का जिम्मा लिया है। लाॅकडाउन के समय इन भाइयों की स्थिति दयनीय थी, न खाने और न साेने की व्यवस्था थी। दाेनाें काे कुछ दिन पहले ही सीडब्ल्यूसी ने मदर टेरेसा शेल्टर हाेम में शेल्टर किया था। वहीं से हिरण मगरी थानाधिकारी हनवंत सिंह ने बच्चों को फाॅस्टर केयर में लिया।
इंस्पेक्टर हनवंत सिंह की पत्नी डाॅ. लता सिंह ने बताया कि लाॅकडाउन के समय एमबी हाॅस्पिटल में जरूरतमंदाें काे खाना देने के लिए जाते थे तब वही देखा कि ट्राेमा सेंटर में दाेनाें बच्चे रहते थे और खाना लेने आते थे। पूछने पर उन्हाेंने बताया था कि मां की माैत हाे चुकी है और पिता हाॅस्पिटल के आस-पास काम करते हैं। जानकारी जुटाने पर पता चला कि पिता ध्यान नहीं देता है। इस पर फाॅस्टर केयर की जानकारी ली और फिर दाेनाें काे इसी नियम के तहत दोनो बच्चों के पालन-पाेषण का जिम्मा लिया। उन्हाेंने बताया कि तीन बेटे और एक बेटी है। वह भी दाेनाें काे अपने भाइयाें की तरह रख रहे हैं।
इन पोषक देखभालकर्ता की तरह अन्य लोग भी फोस्टर केयर कार्यक्रम से जुड़कर अधिक से अधिक बच्चों को लाभांवित कर सकते हैं।
बाल कल्याण समिति की सदस्या डॉ. शिल्पा मेहता ने बताया कि वर्तमान में 13 बच्चों को पोषक परिवार में दिया जा चुका है। व्यक्तिगत पालन पोषण देखभाल में उदयपुर जिला पूरे भारतवर्ष में पहले स्थान पर है।
अधीक्षक, जिला बाल संरक्षण इकाई मीना शर्मा ने बताया कि फोस्टर केयर एक वैकल्पिक देखभाल का प्रकार हैं जिसमें बच्चों का सर्वोत्तम हित सुनिश्चित किया जाता है।
जिले में फोस्टर केयर ये स्थानन (प्लेसमेंट) बाल कल्याण समिति के परिसर में किया गया जिसमें बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष धुव कुमार चारण और सदस्य डॉ शिल्पा महता, जिग्नेश दवे , सुरेश शर्मा, राजीव मेघवाल के साथ जिला बाल संरक्षण इकाई की अधीक्षक मीना शर्मा, किशोर गृह अधीक्षक चंद्रवंशी जी, फोस्टर केयर सोसायटी से अनुराग मेहता कुसुम पालीवाल व रेखा शेखावत मौजूद थे।
What is Foster Care Scheme?
क्या है फाॅस्टर केयर ?: अधिवक्ता हरीश पालीवाल ने बताया कि फाॅस्टर केयर के तहत वे बच्चे पालन-पाेषण में जाते हैं, जाे शेल्टर हाेम में रहते हुए गाेद नहीं जा रहे हैं। जाे भी दंपती उन्हें लेते हैं, बच्चों की सुपुर्दगी से पहले उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति जानी जाती है। बच्चे उनके घर में उन्हीं के बच्चाें की तरह रहते हैं, लेकिन अभिभावक के रूप में दंपती का नाम नहीं दिया जाता। अभिभावक के रूप में अधीक्षक किशाेर-किशाेरी गृह समिति का नाम दिया जाता है। सीडब्ल्यूसी कभी भी चेक कर सकती है कि बच्चे किस हालत में रह रहे हैं। 18 साल की उम्र के बाद ये बच्चे कानूनी रूप से स्वतंत्र हाे जाते हैं।
Salute to Real Life Singham
Dr. Hanuwant Sir, you are really a Singam, I salute you sir.