Jio बना दुनिया का पांचवां स्ट्रॉंगेस्ट ब्रांड, एप्पल, एमेजॉन, अलीबाबा और पेप्सी को पीछे छोड़ा

जियो टेलिकॉम सेक्टर में ब्रांड वैल्यू के लिहाज से सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रांड है, जहां पूरे उद्योग में नकारात्मक वृद्धि देखी जा रही है वहीं जियो का ब्रांड वैल्यू 4.8 बिलियन डॉलर हो गया है।

ब्रांड फाइनेंस ग्लोबल 500 की लिस्ट में पहली बार शामिल हुए रिलायंस जियो ने भारी उलट फेर करते हुए 5वीं रैंकिंग हासिल की है। ब्रांड फाइनेंस ग्लोबल 500 की लिस्ट में, दुनिया के सबसे मजबूत ब्रांड्स की रैंकिंग की जाती है। एप्पल, एमेजॉन, अलीबाबा और पेप्सी जैसी दिग्गज कंपनियों को रिलायंस Jio ने पीछ छोड़ दिया है। दुनिया के सबसे मजबूत पहले 10 ब्रांड्स में रिलायंस जियो भारत से अकेला नाम है। ब्रॉंड की मजबूती के मामले में रिलायंस जियो ने 100 में से 91.7 ब्रांड स्ट्रेंथ इंडेक्स (BSI) अंक और AAA+ की रैकिंग हासिल की हैं।

इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि जियो टेलिकॉम सेक्टर में ब्रांड वैल्यू के लिहाज से सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रांड है, जहां पूरे उद्योग में नकारात्मक वृद्धि देखी जा रही है वहीं जियो का ब्रांड वैल्यू 4.8 बिलियन डॉलर हो गया है।

2016 में जियो ने भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में एंट्री की थी। 40 करोड़ से अधिक ग्राहकों के साथ आज रिलायंस जियो भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर बन चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जियो ने भारतीय बाजारों में करोड़ों उपभोक्ताओं तक किफायती 4जी नेटवर्क को पहुंचाया। जियो ने भारतीयों की डेटा इस्तेमाल करने की आदत को पूरी तरह बदल डाला। भारतीय ग्राहकों की डेटा खपत में आए क्रांतिकारी बदलाव को “जियो इफेक्ट” कहा जाता है।

विचारों का सटीक रूपांतरण, ब्रांड प्रतिष्ठा, ब्रांड की सिफारिश, नवाचार, ग्राहक सेवा और किफायत जैसे सभी मानदंडो पर जियो ने अपने प्रतिद्वंदियों की तुलना में बेहतरीन अंक हासिल किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस जियो ब्रांड में कोई कमी या कमजोरी नही दिखाई देती। जियो ने वैश्विक स्तर पर कई परिपाटियों को तोड़ा है और उसे अपने ग्राहकों का भरपूर समर्थन मिल रहा है।

ब्रांड फाइनेंस द्वारा घोषित सबसे मजबूत ब्रांड WeChat है जिसनें 100 में से 95.4 का ब्रांड स्ट्रेंथ इंडेक्स (BSI) स्कोर हासिल किया है। ऑटो दिग्गज फेरारी ने दूसरा स्थान प्राप्त किया, रूसी बैंक Sber और कोका-कोला दुनिया में तीसरे और चौथे सबसे मजबूत ब्रांड है।

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प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत पर्यटन के एक मजबूत चरण में प्रवेश कर रहा है क्योंकि बढ़ते वैश्विक प्रोफाइल के साथ, भारत के बारे में उत्सुकता भी बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसीलिए, पिछले 8 वर्षों में देश में पर्यटन क्षेत्र के विस्तार के लिए कई कदम उठाए गए हैं। आस्था के स्थलों को प्राथमिकता के आधार पर विकसित किया गया और काशी ऐसे प्रयासों का जीता-जागता उदाहरण है। बेहतर सुविधाओं और काशी विश्वनाथ धाम के कायाकल्प के साथ, काशी में आने वाले भक्तों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भारी बढ़ावा मिला है। काशी में गंगा पार अद्भुत टेंट सिटी से वहां आने और रहने का एक और बड़ा कारण देश-दुनिया के पर्यटकों-श्रद्धालुओं को मिला है। आधुनिकता, आध्यात्मिकता और आस्था से ओतप्रोत न्यू टेंट सिटी पर्यटकों को एक नया अनुभव प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का कार्यक्रम देश में 2014 के बाद की नीतियों, निर्णयों और दिशा-निर्देशों का प्रतिबिंब है। प्रधानमंत्री ने कहा, “21वीं सदी का यह दशक, भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर के कायाकल्प का दशक है। इस दशक में भारत के लोग, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की वह तस्वीर देखने जा रहे हैं, जिसकी कल्पना तक मुश्किल थी।” उन्होंने कहा कि घरों, शौचालयों, अस्पतालों, बिजली, पानी, रसोई गैस, शैक्षिक संस्थानों जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे से लेकर रेलवे, जलमार्ग, वायुमार्ग और सड़कों जैसे भौतिक संपर्क बुनियादी ढांचे तक, ये सभी भारत के तेजी से विकास के मजबूत संकेतक हैं। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में भारत सबसे अच्छा और सबसे बड़ा देख रहा है। प्रधानमंत्री ने देश में परिवहन के इस मोड में समृद्ध इतिहास के बावजूद 2014 से पहले भारत में नदी जलमार्गों का कम इस्तेमाल होने के बारे में चर्चा की। 2014 के बाद, भारत इस प्राचीन शक्ति का उपयोग आधुनिक भारत के निर्माण के लिए कर रहा है। देश की बड़ी नदियों में जलमार्ग विकसित करने के लिए नया कानून और विस्तृत कार्ययोजना है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 में देश में केवल 5 राष्ट्रीय जलमार्ग थे, अब देश में 111 राष्ट्रीय जलमार्ग हैं और लगभग दो दर्जन पहले से ही चालू हैं। इसी तरह, नदी जलमार्ग के माध्यम से कार्गो परिवहन में 8 साल पहले 30 लाख मीट्रिक टन से 3 गुना वृद्धि हुई है। पूर्वी भारत के विकास के विषय पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के कार्यक्रम पूर्वी भारत को विकसित भारत के लिए एक विकास इंजन बनाने में मदद करेंगे। यह हल्दिया मल्टीमॉडल टर्मिनल को वाराणसी से जोड़ता है और भारत बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग और पूर्वोत्तर से भी जुड़ा हुआ है। यह कोलकाता बंदरगाह और बांग्लादेश को भी जोड़ता है। इससे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश तक व्यापार करने में आसानी होगी। कर्मचारियों और कुशल कार्यबल के प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि गुवाहाटी में एक कौशल विकास केंद्र स्थापित किया गया है और जहाजों की मरम्मत के लिए गुवाहाटी में एक नई सुविधा का निर्माण भी किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “क्रूज शिप हो या कार्गो शिप, ये न सिर्फ ट्रांसपोर्ट और टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं, बल्कि इनकी सर्विस से जुड़ा पूरा उद्योग भी नए अवसर पैदा करता है।” एक अध्ययन का हवाला देते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि जलमार्ग पर्यावरण की रक्षा के लिए भी अच्छे हैं और पैसे की भी बचत करते हैं। उन्होंने कहा कि जलमार्गों के संचालन की लागत सड़क मार्गों की तुलना में ढाई गुना कम है और रेलवे की तुलना में एक तिहाई कम है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि भारत में हजारों किलोमीटर के जलमार्ग नेटवर्क को विकसित करने की क्षमता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि भारत में जो 125 से ज्यादा नदियां और नदी धाराएं हैं, वे लोगों और सामान के ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल की जा सकती हैं और ये वाटर-वे, भारत में पोर्ट लेड डेवलपमेंट को भी बढ़ाने में मदद करेंगे। उन्होंने जलमार्गों के एक आधुनिक बहु-मॉडल नेटवर्क के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया और बांग्लादेश और अन्य देशों के साथ साझेदारी के बारे में जानकारी दी, जिसने पूर्वोत्तर में जल संपर्क को मजबूत किया है। संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत में विकासशील जलमार्गों की निरंतर विकास प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहा, “एक विकसित भारत के निर्माण के लिए मजबूत कनेक्टिविटी आवश्यक है।” प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत की नदी जल शक्ति और देश के व्यापार और पर्यटन को नई ऊंचाई देगी और उन्होंने सभी क्रूज यात्रियों के लिए सुखद यात्रा की कामना की।…
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