“मानस अक्षयवट” कथा के दौरान व्यासपीठ पर अद्भुत नज़ारा देखने को मिला, जब व्यासपीठ को मंडप और मोरारी बापू को साक्षी मानते हुए कथा के मुख्य आयोजक मदन पालीवाल की पुत्री माधवी पालीवाल और विष्णु कान्त व्यास ने व्यास पीठ के सात फेरें लिए और एक दूसरे को वरमाला पहनाई।
व्यासपीठ पर फेरें लेने के इस दुर्लभ नज़ारे के हज़ारों लोग साक्षी बनें और वर-वधु को आशीर्वाद प्रदान किया। वर – वधु ने फेरे लेने लेने बाद व्यासपीठ की आरती उतारी और उनके आगे नतमस्तक होकर आशीर्वाद लिया।
इससे पूर्व वर की बारात व्यासपीठ पर नाचते – गाते बैंड बाजे के साथ पहुंची थी। व्यासपीठ पर इस तरह की सादगी भरी शादी कथा श्रवण करने वालों के लिए प्रेरणादायी बनीं।